24 April 2009

DIET FOR EVERYBODY


VIJAY S. ARYA

( THE MASTER)

Early morning

· Lemon with warm water
· Anwla water
· Warm water with one piece garlic (if gastric problem)

Break fast

· Sprout (Soya bin, mung, black gram) with lemon / honey
· Egg white with brown bread toast
· Bottle guard juice and one cup papaya
· Wheat daliya with skim milk/ green veg
· 1chapati with green vegetable & salad
· 150 ml soya milk with toast
· Orange juice, two egg white omelette filled with vegetables.
· Grape fruit juice(80 ml) , fresh strawberries with skim milk
· Orange juice/ grape fruit juice, oat meal


Before lunch

· ½ ltr warm water
· Clear soup

Lunch

· 1 whole wheat bread with green vegetable, lettuce and tomato
· Chicken or fish (80gm), brown rice / 1 whole wheat bread, tomato
· Roosted chicken, whole grain bread with lettuce and tomato
· Whole grain toast, lettuce, green vegetable
· Fish with salad or vegetable soup
· Toast, pear, 75 ml tomato juice
· Green beans with whole grain bread and tomato
· Brown rice, pulse with green vegetable and salad
Green vegetable wholegrain bread and yogurt
Sandwich of cheese, lettuce, tomato and cucumber

Snack

· Apple
· Orange
· Tomato juice
· Boiled vegetable
· Spinach juice
· Green herbal tea
· Oat biscuit
· One dozen grapes
· One dozen almonds
· Fresh peach
· Kiwi fruit and a half dozen nuts



Dinner

· Green vegetable, 1 slice whole wheat bread
· Green beans, 1 slice whole wheat bread and yogurt
· Broccoli with brown rice and tomato soup
· 75 grams grilled or backed chicken, brown rice
· 2 egg white omelette with vegetable
· Whole wheat pasta with vegetable (more vegetable less pasta)



DESSERT

· Two thin slice of cheese
· One dozen almond


THE MASTER STEPS


Vijayarya’s fitness
Standing

1. deep breath
2. neck movement(right-left, up-down)
3. neck rotate( clockwise, anticlockwise)
4. shoulder pumping
5. shoulder rotate(clockwise, anticlockwise)
6. chest expend
7. whole arm rotate (clockwise, anticlockwise)
8. both arm movement (right-left)
9. leg-arm stretch
10. west movement 1 ,2,3( up-down)
11. west movement 4,5,6 ( right-left)
12. west rotate (clockwise- anticlockwise)
13. palm stretch ( up –down)
14. palm-west rotate(right-left)
15. chest-west stretch (centre right left)
16. chair movement
17. chair movement (salutation)
18. leg hand movement 1,2, 3.( up down)
19. leg kick (elbow knees)
20. leg kick ( front)
21. leg kick( side)
22. leg kick(back)
23. kick-box(front)
24. kick-box(side)
25. kick-box(run)
26. box chest
27. box shoulder
28. box jaw
29. box jump
30. box run
31. side leg stretching
32. side leg –west -hand stretching (up)
33. side leg- west- hand stretching (down)
34. front leg stretching (knees)
35. front leg stretching (hands 180)
36. front leg stretching (hands clock -anticlock)
37. front leg stretching (side hand 180)
38. front leg stretching ( side opposite hand 180)
39. front leg stretching (hero)
40. sun salutation

Lying on back

41. dead poster
42. leg movement ( up- down)
43. leg rotate ( clockwise-anticlockwise)
44. leg-hand stretching (30)
45. breeze stretch 1, 2, 3
46. knee-chin movement
47. knees- chin rotate (up-down, side )
48. cycling
49. scissors
50. palm-toe touch
51. abs crunching 1,2,3,4,5,6,7
52. west-legs-neck-hand stretch 1,2,3
53. wheel

Floor exercise (right-left)
54. leg movement (up- down)
55. leg movement(side)
56. knees –elbow movement
57. lower leg movement

YOGA AND OFFICE



योग और आपका ऑफिस

VIJAY S. ARYA
( THE MASTER)









आपको पढ़कर आश्चर्य लगा होगा कि योग से आपके ऑफिस का क्या संबंध। आप जानते हैं कि आपको काम का कितना बोझ या तनाव रहता है। यह ‍भी कि मेरे सहयोगियों और बॉस से कैसे संबंध हैं या कि वह मेरे बारे में क्या सोचते हैं और ऐसे में जब किसी ऑफिस में अच्छा माहौल न होकर राजनीति के थपेड़े हों तो सब कुछ गड़बड़ हो जाता है। क्या गड़बड़ होती है, कैसे रिलेक्स तथा ऊर्जावान बने रहें, इसे जानने का प्रयास करते हैं।
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कार्य और व्यवहार : यदि आप यह महसूस करते हैं कि आपको किसी से खतरा है या कि आप ऑफिस की राजनीति के शिकार हो रहे हैं, तो निश्चित ही आप के व्यवहार, चरित्र या कार्य में कुछ गड़बड़ है। यदि आप यह सोचते हैं कि कोई आपसे प्रतियोगिता कर रहा है तो ‍यह भी जान लो क‍ि आप भी यही भूल कर रहे हैं, क्योंकि आप सोचते ही तभी हैं, जबकि आप में भी उसके गुण हैं। आपके लिए एक बुरी सूचना है कि इस सबके चक्कर में आप अपना मूल स्वभाव खो रहे हैं। नकली और पाखंडी चेहरे से काम नहीं चलेगा।सकारात्मकता और आत्मविश्वास : जबकि सारे मैनेजमेंट गुरु यही शिक्षा देते हैं, पीडी क्लासेस भी यही सिखाती हैं, पर आप नहीं जानते कि ओढ़ी या सीखी गई सकारात्मकता या आत्मविश्वास बहुत अच्छे और दूरगामी परिणाम लाने वाले नहीं हैं। अकसर यह सब नाटकीय और अहंकारपूर्ण होते हैं। सिर्फ एक बड़ा झटका और सारी सकारात्मकता तथा आत्मविश्वास धराशायी हो जाता है, फिर आपके लिए कहना होगा कि दिल को खुश रखने के लिए गालिब यह खयाल अच्छा है, लेकिन भीतर के एक कोने में असंतोष की ज्वाला धधकती रहेगी।घर और ऑफिस : यदि आप ऑफिस में अपने घर जैसी सुविधा चाहते हुए अपने आसपास वैसा ही तामझाम जमाते हैं जैसे कि किसी देवी-देवता का फोटो, कंघा, पर्सनल डायरी, वैसी किताबें जो घर पर पढ़ी जानी चाहिए। सब कुछ बिखरा-बिखरा और जिस पर आपका ही ठप्पा लगा हो वैसा डेस्कटॉप, कुर्सी, टेबल आदि। तो आपको दोबारा सोचना चाहिए कि आखिर इसमें क्या बुराई है। और, यदि आप ऑफिस को अपने घर में ले जाते हैं, तब भी सोचना जरूरी है कि आखिर गड़बड़ कहाँ है, इस सबसे अलग जबकि महत्वपूर्ण होता है सहयोगियों से घर जैसा और घर से खुद के जैसा मिलना।अब जानें कि उपरोक्त तीनों मुद्दों पर योग आपकी क्या मदद कर सकता है-कार्य और व्यवहार : कर्मों में कुशलता है योग। कैसे हो कर्मों में कुशलता? अभ्यास से आती है कुशलता। क्या है अभ्यास? जब हम किसी कार्य को सीखने के पीछे पड़ जाते हैं और फिर बार-बार उसे करते हैं तो अभ्यास फलित होता है फिर जब कोई भी नया कार्य दिया जाता है तो उस पर ज्यादा मेहनत नहीं होती। योगांग नियम का तीसरा अध्याय है अभ्यास। इसे तप भी कहते है। अब बात करते हैं व्यवहार की।कार्य के बाद आपके व्यवहार से तय होती है आपकी गति। गति, दुर्गति भी और सुगति भी हो सकती है। यह मामला सिर्फ ऑफिस या घर का नहीं आपके सांसारिक और आध्यात्मिक सफर के भविष्य का भी है।कैसे बने व्यवहार श्रेष्‍ठ? व्यवहार श्रेष्ठ बनता है श्रेष्ठ सोच से। कैसे हो श्रेष्‍ठ सोच? इसके लिए योग में स्वाध्‍याय की बात कही गई है। क्या है स्वाध्‍याय? स्वाध्याय अर्थात स्वयं के विचारों, भावों, कार्यों और व्यवहार का अध्ययन कर उसकी समीक्षा करते रहना, जो कि 1000 पुस्तकों से भी ज्ञान नहीं मिलता वह इस अध्ययन से मिलता है।सकारात्मकता और आत्मविश्वास : यम और नियम का पालन करना कठिन है, लेकिन स्वाध्‍याय और संकल्प को साधा जा सकता है, छोटी-छोटी चीजों का संकल्प लें, बार-बार विचारों को चैक करें। संकल्प से आत्मविश्वास का विकास होता है। श्रेष्‍ठ आत्मविश्वास से सकारात्मकता का जन्म होता है।क्या है श्रेष्ठ आत्मविश्वास? जो अहंकार या घमंड से ग्रस्त है वह श्रेष्ठ नहीं। दूसरी बात कि जैसे ही कोई नकारात्मक विचार आए तुरंत एक सकारात्मक विचार सोचें, इसका अभ्यास करें। अब जाने की दूसरा यौगिक रास्ता क्या है? कपालभाति करें, पाँच मिनट का विपश्यना ध्यान करें। सूर्यनमस्कार करें।घर और ऑफिस : आप ऐसा कैसे सोचते हैं कि ऑफिस आपका घर है। निश्चत ही जिम्मेदारियों के मामले में वह आपके घर जैसा है लेकिन आपके पर्सनल कार्यों और तामझाम पर आपको विचार करना होगा। आखिर आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि जो कुछ है वह मेरी संपत्ति है? चाहे वह घर की वस्तु हो या ऑफिस की। योगांग नियम के अंग अपरिग्रह (अनासक्त) भाव का अध्ययन करें इससे आपके मन की ग्रंथियाँ खुलकर मन शां‍त, निर्मल तथा खुला होगा।


रिफ्रेश योगा


VIJAY S. ARYA
(THE MASTER)





कुछ लोगों का कहना है कि रोजमर्रा की इस भागमभाग जिंदगी में जहाँ साँस लेने की भी फुरसत नहीं है, वहाँ योग और ध्यान कैसे किया जाए। यह रिफ्रेश योगा उन्हीं लोगों के लिए है, जो तीन घंटे की फिल्म देख लेते हैं, सिगरेट या चाय पीने के लिए 10 मिनट निकाल लेते हैं, गपशप करने के लिए 1 घंटे का समय भी जिनको कम पड़ता है। निश्चत ही वे एक मिनट तो निकाल ही लेंगे। दूसरों के लिए नहीं, खुद के लिए।
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क्या है रिफ्रेश योगा : रिफ्रेश योगा अंग संचालन और प्राणायाम का हिस्सा मात्र है, लेकिन आप इसे करेंगे तो धीरे-धीरे मानसिक शांति और अच्छे स्वास्थ्य का अनुभव करेंगे। आप इस रिफ्रेश योगा को ऑफिस में, घर पर या बस-ट्रेन-प्लेन के सफर में भी कर सकते हैं। यह तरोताजा होने की कारगर विधि है। दरअसल यह योग की उन छोटी-छोटी बातों का संक्षिप्त कलेक्शन है, जिसे हम जाने-अनजाने करते रहते हैं, बस जरूरत है तो उसे सही तरीके से करने की।रिफ्रेश योगा से पूर्व : जानें कुछ खास योगिक नियम, जिनका पालन करना या न करना आपके ऊपर निर्भर है। फिर भी यह जानने में क्या बुराई है कि भोजन, पानी और हवा यही हैं जिंदगी का आधार। इसी से शरीर और मन संचालित होता है। तो जानें इनके बारे में भी। भोजन : जितनी भूख है उससे दो रोटी कम खाएँ। भोजन में सलाद का ज्यादा प्रयोग करें। भोजन बैठकर (पालथी मारकर) ही करें। भोजन करते वक्त मन प्रसन्नचित्त रखें। ऐसा भोजन न करें, जिससे दाँतों और आँतों को अतिरिक्त श्रम करना पड़े। भोजन करने के एक घंटे बाद ही पानी पीएँ। यह भी ध्यान रखें क‍ि थाली में हाथ न धोएँ। कहते हैं कि खान-पान में मात्रा जानने वाले, संभोग में नियम पालने वाले और अन्य बातों और इंद्रियों में संयम और सम्यकता समझने वाले को जब आँधी आती है तो सिर्फ छूकर चली जाती है, इससे विपरीत उक्त बातों का पालन न करने वाले को जड़ सहित उखाड़कर फेंक देती है।पानी : पानी पीएँ छानकर। ध्यान रहे पानी हलका और मीठा पीएँ। जब प्यास लगे तब पानी पीएँ। पानी बैठकर ही पीएँ। पानी गिलास से पीएँ या फिर हाथों की अंजुली बनाकर ही पीएँ। ऊपर से मुँह में पानी डालकर पीने के अपने नुकसान हैं। जिस पात्र में पानी भरा जाता है व पात्र ईशान कोण में रखा हो, उसके आसपास की जगह साफ हो।हवा : भोजन कुछ दिन न मिले तो जीवन चल जाएगा। पानी कुछ घंटे न मिले तो भी चल जाएगा, लेकिन हवा हमें हर पल चाहिए। जिस तरह दूषित भोजन और पानी स्वत: ही निकल जाते हैं या कभी-कभार निकालने का प्रयास करते हैं, उसी तरह शरीर के फेफड़ों और पेट में एकत्रित दूषित वायु को निकालने का प्रयास ‍करें। हलके प्रेशर से साँस बाहर फेंक दें, फिर पूरी गहराई से साँस भीतर खींचें, भ्रस्त्रिका और कपालभाति के इस हिस्से को जब भी समय मिले करते रहें। छींक आए तो पूरी ताकत से छींकें।नींद : नींद एक डॉक्टर है और दवा भी। आपकी नींद कैसी होगी, यह निर्भर करता है इस पर क‍ि आप दिनभर किस तरह से जीएँ। जरूरी है कार्य, विचार, आहार और व्यवहार पर गंभीर मंथन करना। यदि यह संतुलित और सम्यक रहेगा तो भरपूर ‍नींद से स्वास्थ्‍य में लाभ मिलेगा। यह भी ध्यान रखें क‍ि ज्यादा या कम नींद से सेहत और मन पर विपरीत असर पड़ता है। अच्छे स्वप्नों के लिए अच्छी दिनचर्या को मैनेज करें। इससे स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। कैसे करें रिफ्रेश योगा :योगा एक्सरसाइज : आँखों को, जीभ को, हाथ-पैर की कलाइयों को, कमर को, गर्दन को दाएँ-बाएँ और ऊपर-नीचे करते हुए गोल-गोल घुमाएँ। हाथों की मुट्ठी को खोलें और बंद करें। इसी तरह पैरों की अँगुलियों की योगा एक्सरसाइज करें। कानों को मरोड़ें, पूरा मुँह खोलकर बंद करें। बदन में किसी देवता के आने जैसा हिलें या धूजें। गादी पर लोट लगाएँ। गुलाटी लगाने का प्रयास न करें। बदन में लचक हो तो ही गुलाटी लगाएँ। अंगड़ाई आए तो उसको अच्छे से मजा लेते हुए करें। यह सब कुछ अंग संचालन का हिस्सा मात्र है।मन और मस्तिष्क : मानसिक द्वंद्व, चिंता, दुख: या दिमागी बहस हमारी साँसों की गति को अनियंत्रित करते हैं, जिससे खून की गति भी असंतुलित हो जाती है। इसका सीधा असर हृदय, फेफड़े और पेट पर होता है और यह गंभीर रोग का कारण भी बन सकता है। इसका सीधा-सा समाधान है कि जब भी तनावग्रस्त्र या ज्यादा सोचग्रस्त्र रहें तो पेट और फेफड़ों की हवा पूरी तरह से बाहर निकाल दें और नए सिरे से ताजी हवा भरें। ऐसा पाँच से छह बार करें। हँसने का मौका हो तो खिलखिलाकर हँसें।झपकी ध्यान : सिर्फ एक मिनट का झपकी ध्यान करें। ऑफिस या घर में जब भी लगे तो 60 सेकंड की झपकी मार ही लें। इसमें साँसों के आवागमन को तल्लीनता से महसूस करें। गहरी-गहरी साँस लें। यह न सोचें क‍ि कोई देख लेगा तो क्या सोचेगा। हाँ आफिस में इसे सतर्कता से करें, वरना बॉस गलत समझ बैठेंगे। इस ध्यान से आप स्वयं को हर वक्त तरोताजा महसूस करेंगे।मौन : मौन से मन की आंतरिक्त शक्ति और रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। कुछ क्षण ऐसे होते हैं जबकि हम खुद-ब-खुद मौन हो जाते हैं। ऐसा कुछ विशेष परिस्थिति में होता है, लेकिन मौन रहने का प्रयास करना और यह सोचते हुए क‍ि मौन में कम से कम सोचने का प्रयास करूँगा, ज्यादा से ज्यादा देखने और साँसों के आवागमन को महसूस करने का प्रयास करूँगा, एक बेहतर शुरुआत होगी। दो घंटे की व्यर्थ की बहस से 10 मिनट का मौन रिफ्रेश कर विजन पावर बढ़ाएँगा। अंतत: : यदि कर सकें तो कभी-कभार भ्रस्त्रिका, कपालभाति और अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें। आसनों में सुप्त वज्रासन, पश्चिमोत्तनासन पादहस्तासन, भुजंगासन, हलासन, वकरासन और अर्धमत्स्येंद्रासन करें। जरूरी नहीं कि सभी आसन या प्राणायम एक साथ करें या इनके लिए अलग से समय निकालें। कोई भी एक आसन का चयन कर लें और सुबह टॉइलेट के बाद नहाने के पहले या बाद में कर डालें।